Sunday, December 25, 2011

हरियाली फिर आएगी

इश्क की जंग में
हारे हुए,
जल कर
ठन्डे पड़ गए,
दिल की
सख्त सतह पर
दोस्ती की
मुसलाधार
बारिश हुई

बूंदों की
निर्मम चोटों से
फिर जुती,
रोपी
और सींची गयी
इस धरती पर
लगता है
'हरियाली फिर आएगी...'

     - प्रांशु पाठक